Thursday 12 May 2016

अगर आप गलत फ़ैसले लेने के लिए पछताते हैं, तो शायद वो आपने भूखे पेट लिए होंगे!

पहले पेट पूजा फिर काम दूजा', यूं ही नहीं कहा गया है, इसके गहरे मायने भी हैं. अगर आपको भूख लगी है, तो उस वक़्त कोई भी फ़ैसला न लें, क्योंकि इसके लिए बाद में आपको मलाल भी हो सकता है. वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि भूख को बढ़ाने वाला एक हार्मोन Ghrelin आपके निर्णय लेने की क्षमता और आवेग नियंत्रण को प्रभावित करता है. वैज्ञानिकों ने चूहों पर रिसर्च के दौरान पाया कि Ghrelin का स्तर चूहों के निर्णय को प्रभावित कर रहा है. स्वीडन की University of Gothenburg के Karolina Skibicka के अनुसार, हम पहली बार ये जान सके हैं कि Ghrelin का लेवल बढ़ने या घटने से दिमाग के आवेग पर असर पड़ता है और हमारे निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है.

Source: Static

Obsessive Compulsive Disorder (OCD), Autism Spectrum Disorder (ASD), ड्रग एब्यूज़ जैसे डिसऑर्डर में आवेग ही मुख्य कारण होता है. जब पेट खाली होता है और भूख महसूस होती है, तो Ghrelin दिमाग तक इसका सिग्नल पहुंचाता है. इसका मतलब होता है कि पेट को जल्दी ही खाने की ज़रुरत है. इस सिग्नल को न मानने पर आवेग बढ़ना और फिर इंतज़ार न कर पाना बेहद आम है.

Source: Huffpost

कुल मिलाकर जो व्यक्ति भूख लगने के बाद जल्दी से पेट भरने के लिए कुछ खाता-पीता है, वो अच्छे निर्णय लेने में ज़्यादा सफल होता है. इसके अलावा जो व्यक्ति अपनी भूख को अवॉयड करता है, उसके बुरे फैसले के लिए आवेग और Ghrelin का स्तर ज़िम्मेदार होता है. ऐसा व्रत रखने के दौरान भी हो सकता है कि आपका व्यवहार Ghrelin के स्तर के बढ़ने के कारण आवेगपूर्ण रहे. इसलिए आगे से इस बात का ध्यान रखें. पेट की भूख को अवॉयड करने के बजाय उसे मिटाने की कोशिश करें. फैसले तो फिर अच्छे ही होंगे.

Source: DNA

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